नदेसर कोठी विवाद में नगर निगम का बड़ा फैसला: काशी नरेश की चारों संतानें होंगी गृहकर रिकॉर्ड में शामिल

वाराणसी। काशी की बहुचर्चित नदेसर कोठी विवाद में नगर निगम ने बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। अब काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह की कोठी—भवन संख्या एस-18/240, नदेसर—के गृहकर रिकॉर्ड में उनके चारों संतानें दर्ज होंगी।

इनमें पुत्र कुंअर अनंत नारायण सिंह के साथ-साथ उनकी तीनों पुत्रियां विष्णुप्रिया, हरीप्रिया और कृष्णाप्रिया के नाम भी नगर निगम के अभिलेखों में शामिल किए जाएंगे।वरुणा पार जोन के संयुक्त नगर आयुक्त जितेंद्र आनंद ने बताया कि यह नामांकन केवल गृहकर की वसूली और राजस्व उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।

इस निर्णय का भवन के स्वामित्व या कब्जे के अधिकारों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वामित्व विवाद का निपटारा न्यायालय या अन्य वैधानिक प्रक्रिया के तहत ही संभव है।विष्णुप्रिया की शिकायत बनी आधारयह निर्णय काशी नरेश की बड़ी बेटी विष्णुप्रिया के आवेदन के बाद लिया गया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाई अनंत नारायण सिंह के पॉवर ऑफ अटॉर्नी धारक रूद्र नारायण पाठक ने नगर निगम को गुमराह कर केवल अनंत नारायण सिंह को ही एकमात्र उत्तराधिकारी दर्शाया था।

इसके आधार पर कोठी का नामांतरण बिना बहनों की जानकारी के केवल भाई के नाम कर दिया गया था।कानून और साक्ष्यों के बाद लिया गया निर्णयशिकायत मिलने के बाद नगर निगम ने दोनों पक्षों से साक्ष्य और दस्तावेज मांगे। साथ ही कानूनी सलाह भी ली गई।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्रियों को समान अधिकार प्राप्त हैं। इस आधार पर चारों संतानों को गृहकर रजिस्टर में दर्ज किया गया है।संयुक्त नगर आयुक्त ने कहा, “यह निर्णय कानून और तथ्यों के आधार पर लिया गया है। मकसद सिर्फ यह है कि गृहकर की वसूली में पारदर्शिता बनी रहे। भवन स्वामित्व को लेकर कोई दावा या निर्णय इस आधार पर नहीं किया जा सकता।

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