वाराणसी में 500 साल पुरानी नाग-नथैया लीला: इस वर्ष 5 नवंबर को होगा आयोजन, लाखों श्रद्धालु होंगे शामिल
वाराणसी, 23 अक्टूबर 2024:धर्म और संस्कृति की नगरी काशी में हर साल तुलसी घाट पर आयोजित होने वाली 500 वर्ष पुरानी ‘नाग-नथैया’ लीला इस वर्ष 5 नवंबर 2024, मंगलवार को होगी। यह आयोजन दीपावली के चार दिन बाद कार्तिक शुक्ल चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में से एक, नाग-नथैया लीला, यमुना नदी से कालिया नाग के विष को समाप्त करने की पौराणिक कथा पर आधारित है।प्राचीन कथा के अनुसार, कालिया नाग ने यमुना के जल को विषैला बना दिया था, जिससे जीव-जंतु और वनस्पतियां प्रभावित हो रही थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर उसके फन पर नृत्य किया और यमुना का जल शुद्ध किया। इस लीला के माध्यम से श्रीकृष्ण के पराक्रम और करुणा का जीवंत मंचन किया जाता है।काशीराज परिवार की परंपरागत उपस्थितिइस लीला में काशी नरेश के परिवार का विशेष स्थान है। काशी नरेश डॉ. अनंत नारायण सिंह हर साल भगवान श्रीकृष्ण का माल्यार्पण और पूजन करते हैं, जिससे आयोजन और अधिक भव्य बन जाता है।नदियों के संरक्षण का संदेशयह धार्मिक आयोजन केवल एक लीला नहीं है, बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक भी है। जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना को शुद्ध किया, यह आयोजन भी नदियों की स्वच्छता और संरक्षण का संदेश देता है।500 साल पुरानी परंपरानाग-नथैया लीला की शुरुआत 500 साल पहले महान संत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। काशी की सांस्कृतिक धरोहर का यह आयोजन आज भी लाखों श्रद्धालुओं को काशी की पवित्र भूमि पर एकत्र करता है। संकट मोचन मंदिर के जंगल से कदंब के पेड़ की एक डाली लीला के लिए लाई जाती है, और हर वर्ष लीला के अंत में एक नया कदंब का पौधा लगाया जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है।इस वर्ष के आयोजन में भी लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है, जो भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का साक्षात्कार करेंगे।