बनारस के सरकारी स्कूल में प्रोजेक्टर से होती है पढ़ाई : ब्लैकबोर्ड की ज़रूरत नही
वाराणसी में सेवापुरी ब्लाक के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमीनी की पढ़ाई के क्षेत्र में अलग ही पहचान है। प्रधानाध्यापक, ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी की कोशिश ने इस विद्यालय की रंगत ही बदल दी है। विद्यालय के कमरों में टाइल्स, शौचालय के साथ शानदार किचन बना है। इस स्कूल में बच्चों को डिजिटल माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। इसके साथ ही बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है।
10 साल पहले तक इस विद्यालय की हालत काफी बदहाल थी। टूटी दीवारें, टपकती छत, टूटी- फूटी कुर्सियां, बच्चों के लिए ब्लैक बोर्ड की सुविधा नहीं, बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं, यही इस विद्यालय की पहचान थी। साल 2010 में यहां प्रधानाध्यापक राजेश कुमार सिंह की तैनाती हुई। राजेश ने आते ही नए प्रयोग करने शुरू कर दिए। वर्तमान में विद्यालय में आठ अध्यापक व एक अनुदेशक कार्यरत हैं।
अभिभावकों ने समझी जिम्मेदारी, अब हर एक बच्चा जाता है स्कूल
प्रधानाध्यापक राजेश ने बताया कि सबसे पहले कार्यभार लेते ही मैंने प्रधान व गांव के सम्मानित लोगों के साथ बैठक का आयोजन कराया और विद्यालय को संवारने के लिए कार्ययोजना सौंप दी। प्रधान ने अपनी निधि से विद्यालय की दशा और दिशा बदल दी। स्कूल देखने के बाद कोई यकीन नहीं कर सकता कि यह सरकारी विद्यालय है। हर कमरे में फर्श पर चमचमाती टाइल्स, दीवारों पर शानदार पेंटिंग, बच्चों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच का इंतजाम किया गया है।
प्राइवेट स्कूलों से आए 42 बच्चे
2010 में प्रधानाध्यापक राजेश कुमार सिंह ने कार्यभार लिया तो विद्यालय के छात्र संख्या 148 थी। वर्तमान में विद्यालय में 200 से अधिक बच्चे नामांकित है। इस वर्ष कक्षा 6 में 90 बच्चों का नामांकन हुआ है, जिसमें 42 बच्चे कांवेंट स्कूल से नाम कटवाकर यहां प्रवेश ले चुके हैं।
विद्यालय का अपना बुक बैंक
विद्यालय में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पुस्तकालय है, जिसमें लगभग 500 से ज्यादा किताबें हैं। पुस्तकालय में बुक बैंक की बनाया गया है, जिससे जरूरतमंद बच्चे किताब घर ले जाकर पढ़ते हैं और फिर वापस करते हैं।
वाई-फाई स्मार्ट क्लास फॉर प्रोजेक्टर
विद्यालय में स्मार्ट क्लास के लिए इंटरनेट और वाईफाई के साथ प्रोजेक्टर व कंप्यूटर की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे बच्चों को डिजिटल शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा प्रोजेक्टर पर ऑडियो-वीडियो के साथ टीएलएम व खेल-खेल में रोचक ढंग से पढ़ाया जाता है।
ग्राम प्रधान ने की मदद
राजेश बताते हैं कि साल 2015 में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान विजय कुमार व ग्राम पंचायत अधिकारी मुकेश कुमार के साथ मिलकर विद्यालय के शिक्षकों ने स्कूल को मॉडल बनाने का संकल्प लिया। इसके बाद पहले उन्होंने विद्यालय के कक्षा, दीवारों, छतों व बाउंड्री वॉल की मरम्मत ग्राम प्रधान की मदद से कराया। कायाकल्प के तहत ग्राम प्रधान ने कक्षा में टाइल्स लगवाया। आज यह विद्यालय कायाकल्प के 14 बिंदुओं से परिपूर्ण है।
क्या-क्या हैं सुविधाएं
स्कूल में किचन गार्डन, फुलवारी, समर्सिबल पंप, मल्टीपल हैंडवाश, सोलर पंप, आरओ सिस्टम, दिव्यांग शौचालय, आदर्श शौचालय, खेल मैदान जहां शाम को खेलकूद का अभ्यास कराया जाता है।